Skip to main content

Posts

स्कूल पढ़े बर जाहूँ (हेम के सार छंद)

स्कूल पढ़े बर जाहूँ (हेम के सार छंद) स्कूल पढ़े बर जाहूँ मोला, पकड़ा दे तँय बस्ता। कहिथे नोनी हर बाबू ला, बता स्कूल के रस्ता।। भर्ती मोला आज करा दे, स्कूल रोज मँय जाहूँ। सुनले विनती मोरो बाबू, सुघ्गर विद्या पाहूँ।। पढ़ई-लिखई मा मँय हर, सबले अव्वल रइहूँ।। खेल-कूद मा मन चंगा रख, सबले आगू बढ़हूँ।। जोड़-घटाना गुना-भाग कर, गिनती ला मँय गिनहूँ। आखर-आखर ला पढ़-पढ़ के, सीख-सीख मँय लिखहूँ।। अपन स्कूल मा होशियार बन, कसके धाक जमाहूँ। डॉक्टर, मास्टर बन वकील महुँ, जग मा नाम कमाहूँ।। - हेमलाल साहू छंद साधक, सत्र-१ ग्राम-गिधवा, जिला-बेमेतरा
Recent posts

फुग्गा वाले (हेम के चौपाई छंद)

फुग्गा वाले (हेम के चौपाई छंद) फुग्गा वाले भइया बुग्गा। लेके आये हावय फुग्गा।। लाल हरा अउ नीला पीला। सुग्घर हावय रंग रंगीला।। गाँव गली मा बेचत घूमें। देख-देख लइका मन झूमें।। फुग्गा देखत लइका हाँसत। दौड़त आये घर ले हाफत।। लइका खेलय-कूदय, नाचय। अपन हाथ जब फुग्गा पावय।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-१ ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा

गुल्लू के गाँव (सरसी छंद)

गुल्लू के गाँव (सरसी छंद) कतका बढ़िया हवय शहर ले  गुल्लू के रे गाँव।। कच्चा-पक्का छाँही-खपरा, अलवा-जलवा ठाँव।। सुरुज देव के होत बिहनिया, जिहाँ परत हे पाँव। हरियर-हरियर डारा-पाना,  रुखराई के छाँव।। चिरई-चुरगुन घूमत हावय, डेना अपन पसार। अब्बड़ निक लागे सबला रे, तरिया नदिया पार।। जिहाँ किसानी मा जिनगानी, सुग्घर खेती खार। माहामाया दाई देवत, अन्न-धन्न भंडार।। छोटे-छोटे लगथे बढ़िया, जिहाँ हॉट बाजार। तौल मोल करके ले ले तँय, सब ला छाँट निमार।। दाई, काकी, दादी, बनही, सबके मया दुलार। बाबू, कका, बबा अउ भैया, हिम्मत देत अपार।। समरसता के दीया बारय, दूर करँय अँधियार भेद-भाव ला दूर भगावय, बाँधय सुमता पार।। सबले सुघ्गर हावय बेटा, गुल्लू के रे गाँव। कहिथे बाबू, बबलू रोशन, कतका मँय दुहराँव।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र -१ ग्राम-गिधवा, जिला-बेमेतरा।

मोर ददा (बरवै छंद)

मोर ददा (बरवै छंद) बाल कविता मोर ददा हे सुग्घर, सबले पोठ। सुनले चिंकी बनही, मोरो गोठ।। अपन मानथौं जेला, जी भगवान। पूजा करँव नेक मँय, बन इंसान।। सच्चा हावय जेकर, मया दुलार। छाती जब्बर हिम्मत, हवे अपार।। डाँटय फटकारय अउ, देवय साथ। मोर सफलता मा हे, जेकर हाथ।। हम ला लेके जावय, पिकनिक टूर। छोड़ लड़ाई झगड़ा, रहिथे दूर।। घर के सबले बड़का, हवे सियान। खड़े हवय बइरी बर, सीना तान।। ददा मोर बर हावँय, विद्या ज्ञान। जेकर कारण मोरो, हे पहचान।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-१ ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा

रक्तदान करलव (हेम के शंकर छंद)

रक्त करवल दान (हेम के शंकर छंद) बात बतावँत हावय चुन्नी, रक्त करलव दान। दूर भगालँव मन के डर ला, होय ना नुकसान।। तन-मन हा तोर स्वस्थ रइही, मोर कहना मान। दे दँव जी मरीज ला सुघ्गर, आप जीवनदान।। कैंसर जस कतको बीमारी, होय तन ले दूर। एक बार करके देखव जी, रक्तदान जरूर।। भाई-चारा सुम्मत बगरय, पूण्य हावय काज। सबला समझावँय चुन्नी हा, ठान लौ मन आज।। काम सबो के आवँन संगी, नेक बन इंसान। रक्त दान कर जग मा बढ़िया, काम करँव महान।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-1 ग्राम-गिधवा, जिला-बेमेतरा

*आजा बरखा रानी* (चौपाई छंद)

*आजा बरखा रानी* (चौपाई छंद) आजा-आजा बरखा रानी। इहाँ गिरादे झटकुन पानी।। सुरुज देव आगी फेंकत हे। हरर हरर सब ला सेंकत हे।। घाम जनावत हावय भारी। लू मा लगत हवय बीमारी।। तरिया, नदिया सबो अँटागे। कुँआ, बावली सबो सुखागे।। छोड़व बरखा आना-कानी। तरसत हावँय सबो परानी।। दिखही कब ये बदरी कारी। आही कब तोर इहाँ बारी।। आजा कँसके मार झकोरा। हावँय सब ला तोर अगोरा।। -हेमलाल साहू छन्द साधक, सत्र -1 ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा

*परसा पेड़ (बरवै छंद)*

*परसा पेड़ (बरवै छंद)* हावय बड़ उपयोगी, परसा पेड़। पाबे खेत खार के, सुघ्घर मेड़।। आथे डारा पाना, जड़ फर काम। रोग भगाये तन ले, दै आराम।। सबो जीव के बनथे, सुघ्घर ठाँव। बचा घाम ले सब ला, देवय छाँव।। बड़का बड़का लावँय, पाना टोर। तुनथें पतरी दोना, कड़गी जोर।। फर टोर कमाले तँय, पैसा चार। औषधि कारण बीकै, ये बाजार।। रुख के जर ले निकलै, कुंवर बाख। बड़ गुणकारी हावय, एखर लाख।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा